अभिनव बिंद्रा | |
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![]() बीजिंग ओलम्पिक २००८ में एयर राइफल स्पर्धा के स्वर्ण पदक विजेता भारत के अभिनव बिन्द्रा | |
जन्म |
28 सितम्बर 1982[1]. देहरादून, उत्तराखंड |
आवास | ज़िरकपुर, पंजाब |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
अन्य नाम | AB[तथ्य वांछित] |
जातीयता | पंजाबी |
नागरिकता | भारतीय |
शिक्षा | बी बी ए (BBA) |
शिक्षा प्राप्त की | कोलोराडो विश्वविद्यालय |
व्यवसाय | खिलाड़ी (निशानेबाज़ी) |
ऊंचाई | १७३ से.मी. |
भार | 65.5 कि॰ग्राम (144 पौंड) |
बोर्ड सदस्यता | अभिनव फ्यूचरिस्टिक्स |
माता-पिता |
अपजीत बिंद्रा बबली बिंद्रा |
पदक रिकॉर्ड | ||
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पुरुष निशानेबाज़ी | ||
ऑलंपिक खेल | ||
स्वर्ण | ![]() |
पुरुष निशानेबाज़ी |
आई एस एस एफ़ वर्ल्ड पुरुष निशानेबाज़ी प्रतियोगिता | ||
स्वर्ण | ![]() |
१० मीटर हवाई राइफल पुरुष प्रतियोगिता |
राष्ट्रमंडल खेल | ||
स्वर्ण | ![]() |
१० मीटर हवाई राइफल पुरुष |
रजत | ![]() |
पुरुष १० मी हवाई राइफल एकल |
स्वर्ण | ![]() |
पुरुष १० मी हवाई राइफल |
स्वर्ण | ![]() |
पुरुष १० मी हवाई राइफल |
कांस्य | ![]() |
पुरुष १० मी हवाई राइफल एकल |
अभिनव बिंद्रा १० मीटर एयर रायफल स्पर्धा में भारत के एक प्रमुख निशानेबाज हैं। वे ११ अगस्त २००८ को बीजिंग ओलंपिक खेलों की व्यक्तिगत स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतकर व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी बन गए हैं। क्वालीफाइंग मुकाबले में ५९६ अंक हासिल करने के बाद बिंद्रा ने जबर्दस्त मानसिक एकाग्रता का परिचय दिया और अंतिम दौर में १०४.५ का स्कोर किया। उन्होंने कुल ७००.५ अंकों के साथ स्वर्ण पर निशाना साधने में कामयाबी हासिल की। बिंद्रा ने क्वालीफाइंग मुकाबले में चौथा स्थान हासिल किया था, जबकि उनके प्रतियोगी गगन नारंग बहुत करीबी अंतर से फाइनल में पहुंच पाने से वंचित रह गए। वे नौवें स्थान पर रहे थे। पच्चीस वर्षीय अभिनव बिंद्रा एयर राफल निशानेबाजी में वर्ष २००६ में विश्व चैम्पियन भी रह चुके हैं।
२८ सितंबर १९८३[1] को देहरादून में जन्मे अभिनव १९९८ के राष्ट्रमंडलीय खेलों के सबसे युवा निशानेबाज थे। एमबीए कर चुके अभिनव फ्यूचरिस्टिक कम्पनी के सीईओ हैं। सम्प्रति वे चंडीगढ में रहते हैं।
अभिनव बिंद्रा को सन २००९ में भारत सरकार द्वारा खेल के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। ये पंजाब राज्य से हैं।[3][4] अभिनव बिंद्रा ज़गरेब में विश्व चैम्पियनशिप का स्वर्ण जीतने वाले और पेरिस में स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय भी थे।[5]